Dipanshi Srivastava
Quote by Dipanshi Srivastava - अब यहाँ ऐसा भी नहीं कि,
कुसुम घिरे न रहें अली से,
गुंजित न हो कलरव सर्वत्र,
बंधी आशाएं न रहें आली से,
अंतस की गरिमा का वर्णन क्या हो?
अंतस के विनाश को प्रतिज्ञ से,
अनुपम अध्यात्म का दर्शन क्या हो?
अध्यात्मिक दृष्टि के अनभिज्ञ से।
           - दीपांशीप्रिया - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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