ehsan philosopher
Quote by ehsan philosopher - हाय! आह!

लो हम जी रहे हैं कहाँ,
जहाँ नहीं , जहां।

एक खला है खलता,
ये हिंसा है कैसे फलता।
यह युद्ध नहीं कायरता है,
जीव जहाँ भी मरता है।

      लो हम जी रहे हैं कहाँ,
     जहाँ नहीं , जहां।

    ये हिंसावाद से कैसा इश्क
    जो जन्नत दिखता है।
    मुर्ख समझ ले अपना लक्षण,
    इससे जन्नत कहाँ आता है।
    तूने जो दर्द दिए है,
    ताउम्र यहाँ रह जाता है, बढता है, रोता है, रूलाता है,
    और तेरे लिए फटकार की गुहार लगाता है।

        लो हम जी रहे हैं कहाँ,
        जहाँ नहीं , जहां।....

Mohammad ehsan gawara (ehsanphilosopher) - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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