Pallav Agrawal
Quote by Pallav Agrawal - 
"घर" कर रखा है किसी और के हक़ ने ,
पर तेरा फिक्रमंद मैं अब भी हूँ ,
वो घड़ी , दो घड़ी , हर बातें "गैर" को बताना , ज़ख्म तो देता है ,
पर हस कर सह लेना , इतना हुनरमंद मैं अब भी हूँ ,
मिटा ले तस्वीर को , ख़त भले ही सारे जला दे ,
मैं ता-उम्र तेरी तक़दीर में , लकीरों में कलम-बंद मैं अब भी हूँ ,
गुनाह मैंने किए हैं गर सारे , तो नज़रअंदाज़ कर मुझे ,
क्यों फिर तेरी नज़र में , नज़र-बंद मैं अब भी हूँ ,
हर इज़हार-ए-ख्याल ज़रा मुश्किल है जुबां पर लाना ,
इंतज़ार है मुलाकातों का , हाँ सब्र-पसंद मैं अब भी हूँ !! - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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