seema jha
Quote by seema jha - ज़िंदगी अब उलझनों का सफ़र लगती है,
ना प्यार पूरा, ना ही कोई असर लगती है।
जितने अच्छे थे, उतने ही तन्हा हो गए,
हर उम्मीद जैसे अब एक ज़हर लगती है।

सोचा था हमसफ़र होगा समझने वाला,
मगर वो भी बस लम्हों का मुसाफ़िर निकला।
कभी पास, कभी दूर... बिना वजह के,
उसके इश्क़ का कोई भी मंज़र नहीं निकला।

मन कहे छोड़ दूँ सब, चलूँ किसी ओर राह,
पर ज़िम्मेदारियाँ रोक लें, और घर की चाह।
ना खुद से जुदा हो पाते हैं, ना औरों से जुड़ पाते हैं,
इस उलझी हुई साँसों में हम हर रोज़ बिखर जाते हैं।

Seema Jha - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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