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Quote by SSB - मुझे जहान देखने की चाहत नहीं हैं, 
आपकों देख लूं मेरा जहान वही हैं 

Shubhi Singh  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB - IIजी रहे है हम एक नजर के  लिये 
क्या लिखे अब हम उनके लिये
शब्द हैं,  मेरे अल्फाज़ है वो मेरे ख़्वाब हैं 
खड़े है हम चौखट पर उनकी तस्वीर लिए ll

Shubhi Singh  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB - Il दिवाना हैं कोई इसकदर 
की दिवानगी छिपाये नहीं छिपती
मुख की रौनक, आँखों कि चमक 
कि सच्चाई छिपाये नहीं छिपती ll - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB - खुद से ज्यादा में उन्हें  देखती हूं ,
कैसे मैं बताऊ किन्हें देखती हूँ,
नजरों  में उनकी तस्वीर सदा हैं, 
सामने जब आए वो पल देखती हूं l

Shubhi Singh  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB - 

मन
मन भ्रमित मन चिंतित हुआ ,
क्या करू क्या न करू,
ये चंचल मन भटक गया,
सब सही है सब गलत,
उलझन की उलझनों में,
ये चंचल मन उलझ गया।

करना बहुत हैं पर कुछ कर्म नही,
मन में ही सब थक गया,
अरमा बहुत, अरमा जगे ,
मन में ही सब बह गया ।

नई रोशनी मन में जगी ,
उत्साह भी मन में बड़ गया,
ये मन है  ये चंचल है मन,
फिर नए पथ में बड़ गया।

ठनी फिर मन में ठनी,
तनी मन से तनी,
उलझनों को हरा कर,
मंजिल में ही ठहरूगा में,
ये चंचल मन को चंचलता से ही ,
मन की ही मंजिल पा लूंगा में।

शुभी सिंह - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB - वक्त को वक्त दो सब अच्छा हो जाएगा
भरोसा किस्मत पे नही मेहनत पे करो
विश्वास रखो अपने आराध्य पे
जो तुम्हारे लिए अच्छा होगा वही हो जायेगा। - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB - नाम
मौसम बदल रहा है,
हवा जो बह रही है,
मन भी धीरे _ धीरे बहका,
लफ्ज़ो की बाते जो दिल में उतर रही है,

ये सिलसिला पुराना है,
क्या हुआ, नया जवाना है,
व्रज की हो भुमि देखो,
सखियों ने राधा को  कान्हा _कान्हा  छेड़ा है,
दाऊ ने भी कान्हा को  राधा_ राधा बोला है,
सदी बदली जरूर, सिलसिला पुराना है,
मन को भाने वाली ,दुनिया ने जाना है,

पलकें झुकती हे, होठों में हसीं हो खिलती है,
जब नाम तेरा, उस नाम से जुड़ता है,
जिसे तू अपने ख्वाबों में बुनता है,
तकदीर में हो न हो , सच्चा सा लगता है,
मन को भाने वाली का ,नाम जब जुड़ता है,




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Quote by SSB - मेरी कहानी पुरानी , बंधनों मैं मेरी जिंदगानी


युग बदला, समय बदला, हे मेरी कहानी पुरानी,
मेरे रूप अनेक ,बेटी ,बहन ,पत्नी ,माता बंदनो में मेरी जिंदगानी,
ऊंचे  सपनों की मुझे आशा कहा,
बेटे सा अधिकार मिले ,ऐसे सम्मान कहां,
बेटियों को देवी का दर्जा प्राप्त है,
मुझे कलम पकड़ा दे वह समाज कहां,
मेरी कहानी पुरानी , बंधनों में मेरी जिंदगानी।।

घर की चार दीवारों में कैदी सी  हूं,
पराया धन हो , पराए घर से आई हो,
बेटो की बराबरी ,जमीं मैं पैर रख,
शिक्षा क्यों जरूरी तुझे,घर ही तो चलाना है,
मेरी कहानी पुरानी, तानों से भरी मेरी जिंदगानी। ।

शक्ति का रूप, मुझे आसमा की ऊंचाई भाती है,
चुनौतियों का अंबार हो ,मुझे  स्वीकारने की शक्ति आती है,
वैदिक युग में गार्गी, अपाला ,विश्ववारा , ने वेदों का ज्ञान लिया,
कलयुग में आसमा हो चांद ,कल्पना ,लक्ष्मी बाई जैसी वीरांगनाओं ने इतिहास अपने नाम किया,
शक्ति से रची कहानी , वीरांगनाओं की नई जिंदगानी,


युग बदला ,समय बदला ,अब विचार बदल दो,
बेटे, बेटियों  में भेदभाव की दीवार ढहा दो,
रूढ़िवादी सोच से हटके, बेटियों को कलम पकड़ा दो,
जिस अधिकार की अधिकारी , वह अधिकार उन्हे दे दो,
तोड़ दो बेड़ियों की कहानी, रच दो नई जिंदगानी।।

जो घर को स्वर्ग बनाती है ,वह नव भारत निर्माण करेगी,
ईश ने भेद-भाव नहीं ,अर्धनारीश्वर का रूप दिया,
बेटी ही जीवन का आधार,बेटी को शिक्षा का अधिकार,
ममता में, शिशु को प्रथम शिक्षा देने वाली,
ना हो कोई कहानी पुरानी ,खुले आसमां से हो बेटी की जिंदगानी।२।

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Quote by SSB - मेरे भारत के वीर सपूतों

शब्द कहा से लाऊ, तेरा बलिदान बहुत हे बड़ा
भारत के वीर सपूतों, तेरा शौर्य अमर हे अनूठा
धन्य हे मैया की कोख, जिनने वीर सपूत जन्मे है
धन्य पिता की छाती ,कलेजे के टुकड़े सीमा में तैनात खड़े हैं

   कारगिल, उरी ,पुलवामा न जाने कितने 
बलिदानों की शौर्य गाथा
हे भारत के वीर सपूतों अजय अमर , 
तुझपे नवाए हम माथा
तेरी शान अमर , तेरा शौर्य अमर ,
मेरे देश के रक्षक ,तेरा नाम अमर

देश प्रेम में ,मातृभूमि में, प्राण निछावर करने वाले
भारत के वीर सपूतों, कफन तिरंगा अपनाने वाले
मां की आंखें नहीं ओ रुकती ,पिता की छाती हे उमड़ती 
बहना की राखी रोए हैं ,भाई का साथ बिछोए हैं
सुहागन चूड़ा उतार ,तिरंगा चूमे हैं
नन्हें-नन्हें अधूरे बोल, पिता को खोज ना पाते हैं
पिता की शौर्य गाथा ,गर्व से गाते हैं

मेरे भारत के वीर सपूतों तेरा बलिदान अमर
तेरा मातृभूमि प्रेम अमर , हे जवान तेरे नाम अमर।। - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB - झूठे रिश्ते

मुसीबतों ने आ घेरा,
अपनो ने साथ छोड़ा 
कुछ इस तरह रूख बदला,
जैसे आसमा नीला से काला

मेरे घर के दो बाजू कमजोर क्या हो गए
जैसे हम अपने नही पराए हो गए
कहावतों के अर्थ समझ आ गए
बुजुर्गों के कथन सच हो गए

समय हर वक्त दिखाता है 
सच है अपनो की पहचान करता है 
दुनिया की परख समझ आ गई 
बुरे वक्त की कदर हो गई

आशुओं से दुख के हर जख्म भरे 
अपनो ने ही खुशियों के संसार जरे 
रिश्तों से विश्वास उठ गया
सच्चे और झूठे का   सवाल मिट गया

दिलों मैं नफ़रत की ज्वालाएं उठ रही है
रिश्तों से जो झूठी फिक्र दिख रही है
समय हमारा बदला नियत उनकी बदल गई 
जहा पूजा होती थी आज कदर न रह गई

समय परिवर्तन का इंतजार रह गया 
ईश्वर भगति का परिणाम रह गया
रिश्तों की अहमियत नहीं व्याहार रह गया
झूठे संसार का दिखवा रह गया 

लोग मदत नहीं,  एहसान करना जानते है
दुसरो के एहसान को भूलने चाहते है
अब दादी नानी में भेद न रह गया
सबका व्याहार जो एक सा हो गया

लिखने मैं दर्द हो रहा है ,दर्द मैं मलम लग रहा है
डर डर कर कलम चल रही है ,कही पूरी सच्चाई तो नही है

बालको का भी दम घुटता ,आंसु से जो रिश्ता सीचता 
प्यार को तरसते ,अपने ही अपनो से बेर रखते।। - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by SSB -   ।।खुदा हुस्न देता है, तो नज़ाकत आ ही जाती है।।
(हुस्न से तात्पर्य सुंदरता , धन , वैभव , ऐश्वर्या) - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Shubhi Singh
Quote by Shubhi Singh - अग्नि से उत्पन्न मैं यज्ञसेनी,
  द्रुपद पुत्री मैं द्रौपदी  मैं सुकुमारी,
श्री कृष्ण सखी मैं कृष्णा,
द्वापर युग महाभारत मैं महाभारती।

पंचाल, स्वयंबर, हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ
हां हस्तिनापुर ,वह द्यूत-क्रीड़ा
धर्म राज युधिष्ठिर ,फस बैठे शकुनी के पासो में 
चोसर का खेल खिला, लगा दांव में इंद्रप्रस्थ
गवा बैठे इंद्रप्रस्थ ,लगा बैठे भाई
गवा बैठे भाई ,तो लगा बैठे  द्रोपदी
भरी सभा में दुशासन के दुस्साहस की सीमा पार हुई
पकड़ केश पंचाली  द्यूत-क्रीड़ा घसीट द्रोपति लाई गई
भरे योद्धा द्यूत-क्रीड़ा में मौन तमाशा देख रहे,
ना बोले भीष्म पिता ,ना बोले गुरु द्रोणाचार्य
महात्मा विदुर का ज्ञान गया ,अर्जुन का गांडीव भीलोप हुआ
ना भीम की गदा उठी ,ना राजन लोभ गया
अपमान की सीमा पार हुई, नारी जाति आज अपमान हुई।

सूत पुत्र के वचन न भूलें
बुला बैठा महाभारती को सभा में वेश्या
बोल उठा दुर्योधन की जंघा पर बैठ दासी
दुर्योधन कह दुशासन कर वस्त्र चीरहरण
पांच पतियों वाली दासी का
मेरी हर पुकार बेकार गई
 हां आज नारी जाति अपमानित हुई

रोम में  श्री कृष्ण, श्री कृष्ण ,श्री कृष्ण
रख लाज अपनी सखी कृष्णा की
दुशासन का बल सिथिल हुआ
जब घाव में लगी कृष्णा की साड़ी का रेशा
आज द्रौपदी के हर एक रेशे का मान मिला
मैं द्रौपदी मेरे केश खुलें ,आज शपथ कर ली मैंने 
भीम ,ला दुशासन  छाती लहू
उखाड़ फेंक दुर्योधन की जंघा
सूत पुत्र के वचन वे दे दो
मेरे अपमान का बदला ले लो।
नारी के अपमान ने रचा युद्ध
कुरुक्षेत्र की लाल भूमि,आज भी गाथा गाती हैं
नारी का अपमान करने वाले
हर युग में यही दशा होती है।।

शुभी सिंह  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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