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Ranjit Kumar
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - डाइट चाकुलिया में 
...................................... ‌
आये है डाइट चाकुलिया, लेने अंग्रेजी का Traning 
कुछ समय से पहुंचे, कुछ हो गये Lateing 

अंग्रेजी का ये ट्रेनिंग कुछ तो भय मिटाए 
हिंदी भाषी की नजरों में कुछ काबिल बनाए 
उम्र बीत गई हिचक का करते-करते Faceing 

विभाग की यह पहल रंग लायेगा जरूर 
NEP 2020 कला कौशल प्रशिक्षण से भरपूर 
सबको करना होगा आगे बढ़ चढ़कर Bating 

Trainer सुभानल्लाह Trainee सुभानल्लाह 
सब मिलकर बनायें प्रशिक्षण को सुभानल्लाह 
Training सुगम हुआ है साथ में Eating Laughing 
रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - आये है डाइट चाकुलिया, लेने अंग्रेजी का Traning 
कुछ समय से पहुंचे, कुछ हो गये Lateing 

अंग्रेजी का ये ट्रेनिंग कुछ तो भय मिटाए 
हिंदी भाषी की नजरों में कुछ काबिल बनाए 
उम्र बीत गई हिचक का करते-करते Faceing 

विभाग की यह पहल रंग लायेगा जरूर 
NEP 2020 कला कौशल प्रशिक्षण से भरपूर 
सबको करना होगा आगे बढ़ चढ़कर Bating 

Trainer सुभानल्लाह Trainee सुभानल्लाह 
सब मिलकर बनायें प्रशिक्षण को सुभानल्लाह 
Training सुगम हुआ है साथ में Eating Laughing 
रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - भंवर में कश्ती, संकट में हस्ती,केशव तुम्हीं पतवार 
कश्ती संभालो, हस्ती बचा लो ,मत करना इनकार

पूरी काया आधि व्याधि की चपेट में 
चेतना भी माया की लपेट में 
ऐसे में तेरे सिवा कौन करे निर्बल मन पर उपकार 

आराध्य;जीवन में संबल
देते उबार बनाकर उत्पल
हृदय कमल में मनोहर छवि  का चाहिए उपहार 

साध्य-असाध्य साधना पर निर्भर 
साधना केलिए भटक रहा दर-दर
जगद्गुरु अपने शरण में ले लो, करूं व्यक्त आभार 
#रंजीत मिश्रा 


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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - बांसुरी की धुन से धुल जाए चेतना ,एक बार मोहन बांसुरी बजाओ
साकार हो जाए मन की सारी कल्पना ,एक बार मोहिनी सूरत दिखाओ

सांवली सूरत नयन कजरारे 
टकटकी लगाकर देखने की जिद उभारे 
चर्मचक्षुओं से देखने की वेदना,एक बार मोहन वेदना मिटाओ

युग बीत रहे आशान्वित प्रतीक्षा में 
मनुष्यता विफल मनुष्यता की परीक्षा में 
प्रेम से सृष्टि,समझे छोटी सी भेद ना,एक बार फिर से मोहन रास रचाओ 

कालिया का विष प्रत्येक मन में आ बसा है 
दांव पर द्रोपदी, जगह-जगह चौसर सजा है
 कैसे लाज बचे उनकी,तुमको ही है देखना,एक बार फिर से मोहन लाज बचाओ 

युग की समस्या से पार्थ विमोहित 
दुर्बलता से आसक्त, स्वयं से पराजित 
इन पराजित पार्थों में नव प्राण फूंकना,एक बार फिर से सारथी बन जाओ
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - मां भारती को  समर्पित  है सकल भाव संवेदना 
जातीयता  क्षेत्रीयता  ने  बढ़ाई  है  मां  की वेदना 

मां के लिए  भगत ने सर पे बांधा केसरिया बाना 
मां के लिए  चंद्रशेखर ने   फिरंगियों से रार ठाना
भगत चंद्रशेखर का त्याग अनूठा,दे रहा है प्रेरणा 

फिरंगियों की संगठित शक्ति को मिलकर बिखेरा 
नरम गरम दलों ने मिलकर भारतभूमि से खदेड़ा 
स्वामी विवेकानंद के तप  ने जगायी सोयी चेतना 

भारत की विशेषता विविधता है, वेश-भूषा खान-पान 
सत्ता  की  रोटी  सेंकने वाले कब  समझेंगे नादान
ऐसे विखंडित लोगों से मेरे बंधु! बढ़ाना मेलजोल ना
#रंजीत मिश्रा 



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Quote by Ranjit Kumar - मां भारती को  समर्पित  है सकल भाव संवेदना 
जातीयता  क्षेत्रीयता  ने  बढ़ाई  है  मां  की वेदना 

मां के लिए  भगत ने सर पे बांधा केसरिया बाना 
मां के लिए  चंद्रशेखर ने   फिरंगियों से रार ठाना
भगत चंद्रशेखर का त्याग अनूठा,दे रहा है प्रेरणा 

फिरंगियों की संगठित शक्ति को मिलकर बिखेरा 
नरम गरम दलों ने मिलकर भारतभूमि से खदेड़ा 
स्वामी विवेकानंद के तप  ने जगाती सोयी चेतना 

भारत की विशेषता विविधता है, वेश-भूषा खान-पान 
सत्ता  की  रोटी  सेंकने वाले कब  समझेंगे नादान
ऐसे विखंडित लोगों से मेरे बंधु! बढ़ना मेलजोल ना
#रंजीत मिश्रा 



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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - नौजवानों सुनो! स्वप्न ऐसा बुनो!
मां भारती का भाल ऊंचा रहे!!
मर गये भी तो क्या?मिट गये भी तो क्या? 
आरती का थाल ऊंचा रहे !!

राष्ट्रभक्ति से बड़ी कुछ भी होती नहीं 
ये किसी की निजी बपौती नहीं 
गुदड़ी के लाल लालबहादुर हुए, 
गुरबत में भी वतन का ख्याल ऊंचा रहे !!

जीवन में आदर्श व्यक्तित्व का अभाव 
मुश्किल कर देता जीवन लक्ष्य का चुनाव 
राष्ट्रभक्ति से प्रेरित जीवन लक्ष्य हो,
मन में उत्साह का उबाल ऊंचा रहे !!

नये युग के भारत का मुकम्मल तस्वीर 
तुमको पेश करना होगा बेमिसाल नजीर 
दुश्मनों पर गिरो वज्र बनकर , 
आत्मरक्षा का ढ़ाल ऊंचा रहे!!
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - अपनी  माटी,अपना  देश,अपनी   है  पहचान 
बलिदानियों  के  बलिदान  से  तिरंगे की शान

निज स्वार्थों में लिपट लिपटकर कर इसकी गरिमा घटाये
राष्ट्रीय अस्मिता में बाधक  कबसे  हो  गई  विविध भाषाएं 
भाषाओं के अनुबंध से राष्ट्र के होते सबल प्राण

देश  के  शत्रु  बाहर से कहीं ज्यादा इसके भीतर 
नदियां चाह रही है कि सूख जाए विशाल समंदर
क्षेत्रीयता के विकट रोग से दिनानुदिन ग्रसित हिंदुस्तान 

आजादी के अवसर पर भाषा प्रांत का तकरार पीछे छोड़ें 
नये  युग के  नवीन भारत  केलिए  नवाचार से नाता जोड़ें 
नवाचार मानवता के लिए,हिंसा-प्रतिहिंसा का निदान 
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - छोटी   सी   जिंदगी  में  क्या-क्या कमा बैठे 
सोना   जीवन   को   मिट्टी के भाव गंवा बैठे 

प्रेम  से   कहीं   ज्यादा   घृणा   को पहचाना
दोषों   को   अपने    सीख    लिया   छिपाना 
अपने   हाथों   से   अपनी   बर्बादी थमा बैठे 

मन   की   ऊर्जा  को तामसिकता में लगाया 
अपनी   दुर्बलता    को   आसमां  पर चढ़ाया 
जो  रमना   था   राम   में, कहीं और रमा बैठे 

जिसे जानना था उससे  अबतक रहा अछूता 
दीपक की लौ छोटी हुई, मिला अवसर छूटा
अवसर के छूटने से मन में अवसाद जमा बैठे 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - मुझको    रूला    दिया   सावन जाते-जाते 
हताशा   बढ़ा    दिया    सावन   जाते-जाते 

जेठ    में     जले     को     सावन    से आशा
सावन   की  उपेक्षा   से   हाथ  लगी निराशा 
बेगानापन   जता   दिया सावन   जाते-जाते 

सावन   से   अपेक्षा   कि   तन-मन तृप्त करे
नग्न   धरा    को    हरियाली    से आवृत्त करें
अपेक्षाओं को मिटा दिया सावन जाते-जाते 

प्रकृति का परिवर्तित  रूप प्रलय की आहट
सावन    में    नदारद     होंठों    से मुस्कुराहट
सबको    चेता    दिया    सावन     जाते-जाते 
#रंजीत मिश्रा 
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Quote by Ranjit Kumar - टैरिफ की वार से चौधरी की  चौधराहट 
नये  युग  के  भारत  का उसको  आहट
हमारे  यहां के पप्पू मानसिक   दिव्यांग
उनके भी  मन  में  चौधराहट की चाहत
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - इस धरा पर सबसे पावन भाई-बहन का प्यार 
निश्छल  मन  का  दर्पण  भाई-बहन  का प्यार 
राखी के  त्योहार से बचपन समृद्ध 
बंधु-बांधवों से होता जीवन समृद्ध 
उत्कट प्रेम  का उदाहरण  भाई-बहन का प्यार 
रिश्तों  का   आकर्षण   भाई-बहन   का   प्यार 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Ranjit Kumar - ........एक राखी सरहद की......
वतन     की     रक्षा    में    भाई , बहन      से    दूर    है
बहन  भी  जानती  है  भाई वतन परस्ती में मजबूर है

सबसे   पहले  वतन   आता  है  फिर   सारे रिश्ते-नाते 
पर्व -त्योहारों   में   सरहदों पर आती है अपनों की यादें 
सरहदों  पर  पहुंची  राखियां,आंखों  में   लाती    नूर  है 

राखी   के   रेशमी  धागे  निश्छल  प्रेम  का पावन बंधन 
इसी   बंधन  के  लिए  सरहदों पर डटा भाई का यौवन 
राखी   दिन   देख    सूनी   कलाई,मन   रोता   जरूर है 

सरहदों   पर   डटे   भाइयों   को   हर बरस राखी पहुंचे 
शीत  घाम  में  घिरे   एकाकी   मन   को  खुशी    पहुंचे
भाइयों के कर्तव्य निष्ठा से सुरक्षित बहनों का सिंदूर है 
#रंजीत मिश्रा 

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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - किस-किस    रास्तों    से  गुजरा,  मैं  जानूं  और  हरि
किन-किन   पलों   में   बिखरा,  मैं   जानूं    और  हरि 

कभी हालातों का नियंता, कभी हालातों का मोहरा 
कब-कब हुआ हालातों का मोहरा, मैं जानूं और  हरि 

कदम-कदम   पर   शूल   बिछे   थे   और मैं नंगे पांव 
उन    शूलों   से   मिला   दुखड़ा,   मैं    जानूं   और हरि

किसके क़दमों   की  आहटों ने सोया भाग्य  जगाया 
उसकी    संगत    से    निखरा,  मैं    जानूं   और   हरि 
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Quote by Ranjit Kumar - किस-किस    रास्तों    से  गुजरा,  मैं  जानूं  या  हरि
किन-किन   पलों   में   बिखरा,  मैं   जानूं    या  हरि 

कभी हालातों का नियंता, कभी हालातों का मोहरा 
कब-कब हुआ हालातों का मोहरा, मैं जानूं या  हरि 

कदम-कदम   पर   शूल   बिछे   थे   और मैं नंगे पांव 
उन    शूलों   से   मिला   दुखड़ा,   मैं    जानूं   या हरि

किसके क़दमों   की  आहटों ने सोया भाग्य  जगाया 
उसकी    संगत    से    निखरा,  मैं    जानूं   या   हरि 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - एक लड़का श्यामल    एक  लड़की गोरी  
एक  श्याम  मनोहर  एक  राधा किशोरी 

दोनों  युगधर्म  निभाते,जग  को  प्रेमपथ  दिखाते 
माया   से  बचाकर   अपनी     महिमा  से  लुभाते 
निराश्रितों का आश्रय वंशीधर गिरिधारी 

मनमंदिर में युगल छवि से  हजारों  दीपक जलते 
आह्लादित हृदय में कषाय कल्मषों के मेघ छंटते
अवतारी चेतना में युगों-युगों से परम श्रृंगारी

राधाकृष्ण नाम खेवैया भवसागर  से  पार  लगाते
भवसागर  का  दारूण  दुःख  तन मन  से  मिटाते
गोलोक  को  लालायित  सकल  नर-नारी 
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - एक न एक दिन बंधु!पंछी को उड़ जाना है 
जिसे समझता घर अपना वो दो दिन का ठिकाना है 

पंछी के पीछे-पीछे यादें 
रह जाते दुनियां में वादे-इरादे 
वादों-इरादों से बंधु!सदा याद रखता जमाना है 

आजीवन दरख्त को खून से सींचे
पसीने से चकमक बाग बगीचे 
बाग-बगीचे के मोह में बंधु! क्यों गंतव्य से बेगाना है 

हर पंछी की एक करुण कहानी 
साथ न जाए कोई निशानी 
जीवनभर की सारी निशानी बंधु! यकायक छूट जाना है 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - दोस्ती........... रंग    हजारों      वाला 
इसके    साये   में    जीवन       निराला 

जीवन   की    पटकथा    इससे    रंगीन 
मौज-मस्ती पैसेवाला हो या  दीन-हीन 
विपत्तियों      में      सबको       संभाला

सबसे      बड़ा      उपहार    जीवन  का
प्रीत    से    जुड़ा      रेशा-रेशा     मनका
सुदामा      के    लिए      जैसे    नंदलाला 

भाव-अभाव      में          सहर्ष    सहचर
झंझावातों में     खड़ा     साथ      डटकर
दुर्दिन    के  असर   को यथासंभव टाला

दोस्ती    के     रंग    में   यौवन    रंगा   है 
इससे     वंचित     को    जीवन    ठगा है 
एकाकीपन  से  भरा    मन   का प्याला 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - भोले      बनाए     रखना    मुझको     कांवड़िया 
तेरा  नाम   जपते-जपते   बीत   जाए    उमरिया 

कांधे  पर  गंगा  जल   हो, होंठों  पर   नाम   तेरा 
जन्मों -जन्म   लगाता  रहूं   शिवालय  का  फेरा 
तेरे नाम से सुगम हो जाता जीवन   की डगरिया 

सावन   का  पावन  महीना  तेरे  नाम   से   भींगा 
जलाभिषेक से  वंचित   मैं   रह  जाऊं न अभागा 
बाबा  मेरी   काया  पर   बनाए   रखना  नजरिया 

तेरे  दर पर  आनेवाले  सिर्फ  होते नहीं हैं याचक
कुछ  दर्शनाभिलाषी   कुछ   तन-मन से   साधक 
याचक हो या साधक सबकी लेते रहना खबरिया 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - भक्तों   से   परेशान   भगवान   भी     बेचारे 
आखिर    किस -किस  को   भव   से    तारें 

भक्तजन    स्वयं   को   समझते    पुण्यात्मा 
सबसे    मूर्ख   दुनिया   में  ठहरा   परमात्मा 
थोड़े  से  लड्डू  बताशे  से  चाहता  काम सारे 

टीका-चंदन, दान-दक्षिणा  दिया  जा रहा है 
फिर  आखिर  कौन  है  जो  पाप बढ़ा रहा है 
ऐसे बहरूपियों से देवालय त्राहिमाम पुकारे 

स्वयं   निरंकुश  होकर  जपते   प्रभु  दयामय 
मेरे  दोष   मत   देखो, देखो   आभा प्रभामय 
ऐसे  दुराचारियों  को  त्रिशूलधारी  ही संहारे
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - पहाड़ों  पर   मंदिर, मंदिर  में आस्था 
आस्था   तय   कराती  है दुर्गम रास्ता 
आस्था    मानसिक       गुलामी   नहीं 
प्राप्त  कर  सकता  कोई  कामी नहीं 
कामियों   को   चाहिए   सौदा   सस्ता 
आस्था  के   पीछे   आत्मिक   आवेग 
तभी फलीभूत जीवन में कुछ  विशेष 
जैसे  कि हरिहर से जन्मों  का वास्ता
#रंजीत मिश्रा 

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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - पहाड़ों  पर   मंदिर, मंदिर  में आस्था 
आस्था   तय   कराती  है दुर्गम रास्ता 
आस्था    मानसिक       गुलामी   नहीं 
प्राप्त  कर  सकता  कोई  कामी नहीं 
कामियों   को   चाहिए   सौदा   सस्ता 
आस्था  के   पीछे   आत्मिक   आवेग 
तभी फलीभूत जीवन में कुछ  विशेष 
जैसे  कि हरिहर से जन्मों  का वास्ता
#रंजीत मिश्रा 

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Quote by Ranjit Kumar - मासूम मरे पाठशाला में, सरकारें  चैन  से सोती है 
मीडिया में दोषारोपण, माएं  कलप-कलप रोती है 
नेताओं के बच्चे विदेश पढ़ें,नियत उनकी खोटी है 
भ्रष्टाचार  में अफसर  सारे, उनकी  खालें  मोटी है 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - सबके नाथ भोलेनाथ! ऊं नमः शिवाय!!
सुख-दुख में साथ भोलेनाथ! ऊं नमः शिवाय!!

ज्ञान वैराग्य उनसे ही निसृत 
शिवशक्ति से जड़-चेतन आच्छादित 
नहीं छोड़ते हाथ भोलेनाथ! ऊं नमः शिवाय!!

जीवों का जीवन कंटक पूर्ण 
शिव के विस्मरण से अपूर्ण 
बनाते बिगड़ी बात भोलेनाथ! ऊं नमः शिवाय!!

सावन में शिव चेतना जागृत 
प्रकृति का कण-कण आवृत 
बस एक  दीनानाथ भोलेनाथ! ऊं नमः शिवाय!!
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Quote by Ranjit Kumar - एक  श्यामल  लड़का  एक गोरी लड़की 
एक  श्याम  मनोहर  एक  राधा किशोरी 

दोनों  युगधर्म  निभाते,जग  को  प्रेमपथ  दिखाते 
माया   से  बचाकर   अपनी     महिमा  से  लुभाते 
निराश्रितों का आश्रय वंशीधर गिरिधारी 

मनमंदिर में युगल छवि से  हजारों  दीपक जलते 
आह्लादित हृदय में कषाय कल्मषों के मेघ छंटते
अवतारी चेतना में युगों-युगों से परम श्रृंगारी

राधाकृष्ण नाम खेवैया भवसागर  से  पार  लगाते
भवसागर  का  दारूण  दुःख  तन मन  से  मिटाते
गोलोक  को  लालायित  सकल  नर-नारी 
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - भेजी है  दिल   की खबरिया कि मान जाइए 
बीती    जाए  तन्हा  उमरिया कि मान जाइए 
प्यार     का      संसार       उम्मीदों  से       बना 
सूनी    इसकी   डगरिया    कि  मान     जाइए 
बाग    में    गुलाबों    पर    नजर   जा      टिकी 
बदली-बदली   नजरिया   कि    मान     जाइए 
अपने   ही   बस   में   है आज कल की जिंदगी 
पार  कर   जायेंगे   दरिया   कि    मान   जाइए 
दिल  में  कश्मकश  और   होंठों  पर   खामोशी 
फिर कैसे सजेगी प्रेम नगरिया कि मान जाइए 
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - जितना   भी   जतन   करो,मरना  तय है बाबू 
एक   सा    कभी  नहीं  रहता  समय  है   बाबू 

बाहर  से   ज्यादा    भीतर   का    डर    बड़ा है 
जिसके   कर्म    अच्छे   वही   निर्भय   है  बाबू 

हालातों   के   थपेड़े    विश्वासों   से     टकराते 
 विश्वास  जो टूटा,समझो  आया प्रलय है बाबू 

लोगों   के     मन     को    टटोलो   तो    मिलेगा 
सबके   हृदय  में   पीर   का    हिमालय  है बाबू 

मुझको   अच्छा  समझने  की   भूल  मत करना 
मैं भी एक आम आदमी, अनुनय-विनय है बाबू 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - सपनों    का   आशियाना   किस्तों   में    बनेगा 
रे   मन!    सब्र     रख   ले, हादसों   से    बचेगा 

भले   हों  किसी   के   पास   महले    दो   महले 
आगे-पीछे   नौकर,   गाड़ियों      के     काफिले 
उनकी   देखा-देखी, ऐसी   आदतों   से    मरेगा 

माना   तेरी   मजबूरियां   कुछ   ज्यादा ही होगी 
हालातों के आगे कमजोरियां कुछ ज्यादा होगी 
मिल  बांटकर   खाने  से   फरिश्तों   से   मिलेगा 

बद  से  बद्तर  की   कोई   सीमा   नहीं    होती 
उच्च   से  उच्चतर   की   कोई  सीमा नहीं  होती 
अपनी   सीमा   में    रहकर   दरख्तों   सा बनेगा
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - भाषा की आड़ में, भाषाओं की ऐसी तैसी 
करनेवाले होते हैं बहसी 

भाषाएं जननी होती है 
कला-संस्कृति की धमनी होती है 
जो मानवता को सींचती 

उनको तो बस सत्ता चाहिए 
आराम का बिस्तर गद्दा चाहिए 
अच्छी नहीं लगती कौम फलती-फूलती 

ऐसे खूनी चेहरों का बहिष्कार हो
एक-एक मतदान से उपचार हो
तभी थमेगी उनकी जबरदस्ती 
#रंजीत मिश्रा  - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - जीवन   में   विसंगतियां   कोई    हारे   कोई    जीते
कोई   भूख   से  मरता,   कोई   मरता      पीते-पीते
 
देखा   है  मैंने   रात-रात   भर   आंखें     फोड़नेवाले 
अनीति   से   फलनेवाले,   नीति   से     पिछड़नेवाले 
अभाव   से   सदा   वास्ता,   खुशियों   से    रहे   रीते

बदनसीबों   की   फौज   मंदिर-मंदिर    देवता-देवता 
वो   भी   बुत   बना   हुआ, संगदिल   होकर   देखता 
बुत में ना थोड़ी हलचल, एक दिन अवसर  सारे बीते 

सुबह   के    साथ    आशा, शाम   होते-होते   निराशा 
बदलती  तारीखों  के  साये में भटकता प्यासा-प्यासा
गुरबत    की     जिंदगी    कटे      पैरहन    सीते -सीते
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - देखो   संभलकर   रहना, बहरुपिया   जमाना
मत सबपर एतबार करना, बहरुपिया  जमाना 

अभी से   बेटियों की चिंता मुझको सता रही है 
समाचार   पत्रों   के   पन्ने   मुझको   डरा  रहे  हैं 
मत  बहकावे   में    आना, बहरुपिया    जमाना 

जीवन  में  कदम -कदम  पर चुनौतियां मिलेगी 
लेकिन  जरूरी  नहीं  सच्ची  सहेलियां  मिलेगी 
मां-बाप  से  मत  छुपाना,  बहरुपिया   जमाना 

कलेजे   के  टुकड़ों  का  अचानक गुम हो जाना 
मानो  अवर्णनीय  दुःखों  का पहाड़ से टकराना 
फिर   तो   जीवन   वीराना,  बहरुपिया  जीवन 
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - सावन!ले आओ बदरा!! 
अब तो तेरा ही आसरा!! 

देख दरार कलेजा फटता है 
बैठ विधाता मूक देखता है 
लगता हो गया बहरा!!

सूखा-सूखा आषाढ़ बीता
 ताल-तलैया रह गया रीता
किसको कहें दुखड़ा!!

कहीं वृष्टि से बाढ़ के हालात 
कहीं नयना तरसे देखने को बरसात 
दर्द बहुत गहरा!! 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - सावन!ले आओ बदरा!! 
उदास किसानी चेहरा!! 

देख दरार कलेजा फटता है 
बैठ विधाता मूक देखता है 
लगता हो गया बहरा!!

सूखा-सूखा आषाढ़ बीता
 ताल-तलैया रह गया रीता
किसको कहें दुखड़ा!!

कहीं वृष्टि से बाढ़ के हालात 
कहीं नयना तरसे देखने को बरसात 
दर्द बहुत गहरा!! 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - जनसुराज(१)
परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है बिहार 
इसकी मिट्टी से निकलनेवाली राष्ट्रव्यापी जनसुराज

विकल्पहीनता के कारण झेले सालों मुखौटे 
समाजवाद की आड़ में निकले सबके सब झूठे 
उन झूठों को सबक सिखाने को जनता तैयार 

अगड़ा पिछड़ा दलित महादलित का खूब खेले खेल
अबकी बार निकलनेवाला चाचा भइया का तेल
एक उभरते नायक से नित्य पटा पड़ा है टीवी अखबार 

बिहारी के श्रम से ही विकसित राज्य चमकते
फिर इन्हीं को अछूत समझकर गुर्राते भौंकते 
श्रमिकों के श्रम का ठीक-ठीक यहीं होनेवाला उपचार 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - शंकर हैं प्रलयंकारी, जनहितकारी हो...
त्रिविध ताप के समूल हर्ता 
सकल जीवों की चिंता कर्ता, त्रिशूलधारी हो...
अज्ञानी को ज्ञान,योगी को वैराग्य 
भाग्यहीन को देते सौभाग्य, चंद्रधारी हो...
निराश्रित का आश्रय भोले 
अकालमृत्यु से देते अभय भोले,विषपायी हो..
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - शिव  की  उपासना से  शिवत्व  की  भावना 
शिवत्व की भावना है कल्याण की  योजना 

स्वयं   के    लिए   नहीं  विषपायी   हुए 
स्वयं के लिए नहीं किसी के जमाई हुए 
वो  तो  था  मानवों के लिए देवों की याचना 

आदियोगी   से   योग   की  गंगा निसृत
योग  से  सोयी  चेतना  होती  है जागृत
योगमय  जीवन  जीना, है  शिव  की साधना

महाकाल के अधीन काल की गति
काल  की  गति  से  सुमित - कुमति 
कुमति से दुर्भाग्य का होता आमना-सामना 
#रंजीत मिश्रा 

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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - कंटकों से बैर और सुमनों से प्यार 
                                हाय रे संसार!

गुलाब  के   आंचल   में    शूल    है 
उसकी  उपेक्षा    एक     भूल      है 
          और  करने   चले अभिसार!

आत्मजों     से      ही     ठगे     जाते 
और    उन्हीं    के लिए    मरे    जाते
             दिखाते  आंसुओं की धार!

आधिपत्य     का        गाड़े      खूंटा
समय   कर   देता   एक  दिन झूठा
            जीवन  का  कटु सत्य क्षार!
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - आये सवाली भोले भण्डारी! बनकर कांवड़िया हो...
खाली उनकी झोली भोले भण्डारी!खोलो किवड़िया हो..

जमीन-जथा, संतान व्यथा 
कोई लेकर आया दारूण दुःख की कथा
थाली उनकी खाली भोले भण्डारी! कैसे निष्ठुर सांवरिया हो..

नौकरी पेशा कोई नहीं देता 
कभी बनकर देखो गरीब मां-बाप का बेटा 
दूर होंठों से लाली भोले भण्डारी! बीती जाए उमरिया हो..

नाना कामनाएं तेरी याद दिलाए
तेरे सिवा कोई और नहीं भाए
सबके माली भोले भण्डारी! दूजा नहीं जरिया हो..
#रंजीत मिश्रा 


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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - सावन  मन  को  भाता  है   जब   हृदय   में  प्रेम  बसा हो
सावन  खूब रूलाता  है  जब  कोई  अपना  दूर  बसा हो

तप्त धरा के लिए सावन स्नेहिल लेपन
 सावन  में  सारहीन  ग्रीष्म का उत्पीड़न 
सावन अधरों पर गुनगुनाता है जब नयनों में प्रेम बसा हो

सावन  में  चहुंओर   हरीतिमा   लहराये
सावन      की    घटाएं    जिया    जलाये 
सावन मन को हर्षाता है जैसे कोई कोमल राग छुआ हो

जीवन में सावन धूप के बाद छांव जैसा
चिंतन में सावन नवसृजन के पड़ाव जैसा
सावन मन को जगाता है जैसे जीवन में शिवत्व मिला हो
#रंजीत मिश्रा 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - शरीर अपना, दर्द अपना, अपनी है कराह
लोग कहते हैं दर्द के पीछे कोई न कोई गुनाह 

कुछ दर्द तन के, कुछ दर्द मन के
मिली सौगात जब -जब राह से भटके 
कौन जमाए बैठा है नेपथ्य से अपनी निगाह 

रथ काया है,सारथी चंचल और यात्रा निश्चित 
किसी दिशा में तो चलना है, भूल न होवे किंचित 
दुःख दर्द रहित जीवन हेतु करना पड़ता परवाह 

कभी-कभी अकारण भी छायी रहती उदासी 
सुख वैभव के मध्य भी कुछ है प्यासी -प्यासी
सुख-दुख सारे जन्मों के लेखा, चलती नहीं अपनी चाह
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - गुरु पूर्णिमा 
सद्गुरु   के   शरण   में    आ जा    भवसागर     तरेगा 
जीवन  में  नव  संभावना   का  नित्य   द्वार  खुलेगा 

तन-मन की  क्षमता  छुपी अज्ञानता के आवरण में 
हमेशा चूक होती स्वयं के  पुरूषार्थ के  निर्धारण में 
सद्गुरु  के  शरण  में आ जा  अज्ञान आवरण  छंटेगा 

मार्ग  दर्शक   के  अभाव   में   जीवन   दो कौड़ी का
लौकिक  पारलौकिक   दोनों   शक्ति    की  भूमिका 
सद्गुरु के शरण में आ जा जीवन में भटकाव  थमेगा 

सद्गुरु   जीवन  में   ईश्वर    की     भूमिका      निभाते 
कषाय     कल्मषों   से   घिरे   चित्त    को    निखारते
सद्गुरु  के  शरण  में आ जा  आत्मस्वरुप  से  मिलेगा
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - गुरु पूर्णिमा 
सद्गुरु   के   शरण   में    आ जा    भवसागर     तरेगा 
जीवन  में  नव  संभावना   का  नित्य   द्वार  खुलेगा 

तन-मन की  क्षमता  छुपी अज्ञानता के आवरण में 
हमेशा चूक होती स्वयं के  पुरूषार्थ के  निर्धारण में 
सद्गुरु  के  शरण  में आ जा  अज्ञान आवरण  छंटेगा 

मार्ग  दर्शक   के  अभाव   में   जीवन   दो कौड़ी का
लौकिक  पारलौकिक   दोनों   शक्ति    की  भूमिका 
सद्गुरु के शरण में आ जा जीवन में भटकाव  थमेगा 
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Quote by Ranjit Kumar - तेरी      ईच्छा    में    मेरी    मुक्ति   है 
विध्वंसकारी    तुमसे     विरक्ति    है 
काल गति को समझना बस में नहीं 
तेरी     मुट्ठी     में      सारी     सृष्टि   है 
तुम   तक   पहुंचने    के   मार्ग  बहुत 
सबसे     सुलभ    सरल   अंतर्दृष्टि है
तुम     तक  पहुंचने  में   बाधाएं कई
सबसे  पास  दुर्जेय  अपनी   सुस्ती है 
अहम्    को  मिटाकर  ही  मिलती  है 
कृपासिंधु   की   तरफ   से   भक्ति  है 
#रंजीत मिश्रा 


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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - मासूम कली की बात 
रखता हूं सामने आज 

धीरे -धीरे बड़ी हो रही है 
खुशियों की फूलझड़ी हो रही है 
विधाता की अनुपम सौगात 
पिज्जा बर्गर पास्ता चाऊमीन 
ले जाना चाहती स्कूल टीफिन 
सम्मुख उपेक्षित दाल-भात 

सजना संवरना आदत उसकी 
चलती नहीं ज्यादा मेरी मर्जी 
जब मचाती घर में उत्पात 
घूमना फिरना उसको भाए 
जीने का नया ढंग मुझको सीखाए 
चलो पापा जमाने के साथ 

रील बनाने की लत लगी है 
पल में मुकुलित पल में बुझी है
जमाए आंखों में बरसात 
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Quote by Ranjit Kumar - शरीर अपना, दर्द अपना, अपनी है कराह
लोग कहते हैं दर्द के पीछे कोई न कोई गुनाह 

कुछ दर्द तन का, कुछ दर्द मन का
मिली सौगात जब -जब राह से भटका
कौन जगाये बैठा है नेपथ्य से अपनी निगाह 

रथ काया है,सारथी चंचल और यात्रा निश्चित 
किसी दिशा में तो चलना है, भूल न होवे किंचित 
दुःख दर्द रहित जीवन हेतु करना पड़ता परवाह 

कभी-कभी अकारण भी छायी रहती उदासी 
सुख वैभव के मध्य भी कुछ है प्यासी -प्यासी
सुख-दुख सारे जन्मों के लेखा, चलती नहीं अपनी चाह
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - तन-मन दग्ध है भींगने दे सावन में 
सांवरिया! एकाकीपन जीवन में

बचपना का कुछ घूंट फिर से पी लूं 
मिले थोड़ी छूट तो फिर से जी लूं 
जीवन शैली शख्त है भींगने दे सावन में 

कई स्तरों पर जीते-जीते 
थका मन दर्द सीते-सीते
अबतक अव्यक्त है भींगने दे सावन में 

नवजीवन सावन में प्रस्फुटित 
शिव चेतना से अभिमंत्रित 
अनुभव शिवत्व में अनुरक्त है भींगने दे सावन में 
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Quote by Ranjit Kumar - तन-मन दग्ध है भींगने दे सावन में 
चंचलता जब्त है भींगने दे सावन में 

बचपना का कुछ घूंट फिर से पी लूं 
मिले थोड़ी छूट तो फिर से जी लूं 
जीवन शैली शख्त है भींगने दे सावन में 

कई स्तरों पर जीते-जीते 
थका मन दर्द सीते-सीते
अबतक अव्यक्त है भींगने दे सावन में 

नवजीवन सावन में प्रस्फुटित 
शिव चेतना से अभिमंत्रित 
अनुभव शिवत्व में अनुरक्त है भींगने दे सावन में 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - मान   लिया  नियति  का लेखा 
दो  किनारे    अपनी     कहानी 

आखिर    मानना     पड़ता   है 
सबको     फैसला    आसमानी 

किसी   का    हमराज़      होना 
मामला    विशुद्ध     खानदानी 

फ़ुरसत में कभी याद कर लेना 
लौट  आयेगी  मन  में   जवानी 
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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - जब जिंदगी हाथ से पिछल जाती है 
तब जाकर कहीं अक्ल आती है 

नाकामियों का मातम मनाना ठीक नहीं 
कोशिशों  से एक दिन जीत में बदल जाती है 

मां-बाप का आशीष हमेशा काम आता है 
यूं हीं नहीं अनहोनी टल जाती है 
#रंजीत मिश्रा 


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Ranjit Kumar
Quote by Ranjit Kumar - घाट-घाट  का   पानी   पीकर   चले   नहाने    काशी 
कर्मों  का  प्रभाव  ऐसा  कि मन से छंटे नहीं  उदासी 
छंटे नहीं उदासी कि कैसे कर्मों का दुष्प्रभाव टलेगा
बोया है बबूल तो फिर बताओ आम कहां से फलेगा
आत्म शोधन से संभव  परिवर्तित अज्ञात भाग्य रेखा 
उदात्त जीवन दर्शन से संभव परिवर्तित दुर्भाग्य लेखा
#रंजीत मिश्रा 
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